The Basic Principles Of shiv chalisa in hindi
The Basic Principles Of shiv chalisa in hindi
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मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
अर्थ: हे प्रभू आपने तुरंत तरकासुर को मारने के लिए षडानन (भगवान शिव व पार्वती के पुत्र कार्तिकेय) को भेजा। आपने ही जलंधर (श्रीमद्देवी भागवत् पुराण के अनुसार भगवान शिव के तेज से ही जलंधर पैदा हुआ था) नामक असुर का संहार किया। आपके कल्याणकारी यश को पूरा संसार जानता है।
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अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है more info शम्भु सहाई॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
कभी-कभी Shiv chaisa भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी